दूरवर्ती इलाके में बस से भ्रमण करते हुए रमेश को कुछ अस्वस्थता महसूस होती है और वो वेलम्मा के साथ बस से उतर जाता है. विश्राम-कक्ष में रमेश की आँख लग जाती है और इससे पहले की वेलम्मा बस को रोक पाती, बस उन दोनों को फंसा हुआ छोड़कर निकल जाती है. अब वेलम्मा को आदिवासियों से मदद की उम्मीद रहती है लेकिन आदिवासी उसकी भाषा नहीं समझ पाते. तब वेलम्मा अपनी बात उन तक पहुचाने के लिए प्यार की भाषा का इस्तेमाल करती है.