वेलम्मा और रमेश अपने बॉस के गाँव में कुछ गरीबों की मदद कर रहे होते हैं. तभी वो एक महिला को डूबते हुए और सहायता के लिए झपट्टा मारते हुए देखती है, लेकिन इन सब में वो खुद को फँसा लेती है. वेलम्मा की आखें एक नदी के किनारे खुलती हैं और वो एक दूसरी महिला से मिलती है जो उसे बचाने का दावा करती है. इसी दौरान वे एक नाग मंदिर में शरण लेते हैं जहाँ वेलम्मा का सामना एक पौराणिक रहस्य से होता है.